बांके बिहारी मंदिर में हुई गलतफहमी भक्तों ने हाथी की मूर्ति से टपक रहे पानी को समझा ‘चरण अमृत’
वृन्दावन में, जो की उत्तर प्रदेश का एक पवित्र शहर है, जो अपनी कृष्ण भक्ति और आध्यात्मिकता के लिए मशहूर है, बहा बांके बिहारी मंदिर मैं हाल ही में एक अजीब सा वाकया देखने को मिला। इस मंदिर में, जहां हर दिन हजारों भक्त श्रद्धा के साथ प्रार्थना करते हैं, वहां एक छोटी सी गलतफहमी ने भक्तों को हेयरण कर दिया जब उन्होंने मंदिर के एक हाथी की मूर्ति से टपक रहे पानी को ‘चरण अमृत’ समझ लिया।
चरणामृत क्या है?
हिंदू परंपरा में “चरण अमृत” को पवित्र पानी माना जाता है जो भगवान के चरणों को धो कर निकलता है और भक्तों को परसाद के रूप में दिया जाता है। ये पानी भक्तों के लिए बहुत पवित्र माना जाता है और उसको पीने से उन्हें आशीर्वाद और शुद्धि की भावना मिलती है। भारत भर के मंदिरों में ये पानी भक्तों को दिया जाता है ताकि वो अपने आप को भगवान के ओर जादा करीब महसूस कर सकें।
बांके बिहारी मंदिर में ये घाट कैसे हुआ?
एक दिन, जब भक्त बांके बिहारी मंदिर में प्रार्थना कर रहे थे, तब उनकी नज़र एक अजीब से दृश्य पर पड़ी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक हाथी की मूर्ति से पानी टपक रहा था। और उन्होंने सोचा कि ये चरण अमृत है।
ये बात तेजी से फेल गई और काई लोग मूर्ति के पास पानी लेने के लिए इकट्ठा हो गए। भक्तों ने वो पानी अपने हाथों में लेकर श्रद्धा के साथ पिया और कुछ ने उस पानी को अपने माथे पर लगा कर आशीर्वाद लिया। अनहोने इस घटना को एक चमत्कार मान लिया और भगवान कृष्ण की भक्ति में और भी मगन हो गए।
असलियत का पता लगाना
जब मंदिर के प्रबंधक और सेवक ने इस अफ़रा-तफ़री को देखा, तब उन्होंने मामले को थोड़ा और बारिकी से ढूंढा । जानने पर पता चला कि ये पानी किसी चमत्कार का नहीं बल्कि बाल्की हाथी की मूर्ति में किसी छोटी सी लीक के कारण टपक रहा था – हो सकता है ये एयरकंडीशनर या किसी प्लंबिंग के मुद्दे से हो। ये सारा मामला भक्तों को समझाया गया और गलतफहमी दूर किया गया।
लेकिन, इस घाटना की खबर वृन्दावन में फेल चुकी थी और काई लोगों ने इसे अब भी एक पवित्र अनुभव माना। भले ही बाद में असल बात का पता चल गया हो, लेकिन भक्तों के मन में वो शुरूआती भक्ति और श्रद्धा के जज़्बात बरक़रार रहे।
भक्ति और विश्वास पर एक नजर
ये घाटना हमें ये बताती है कि भक्ति और विश्वास कैसे काम करते हैं। भक्ति में कई बार लोग अपने आस-पास की चीज़ों को भी चमत्कार समझ लेते हैं और किसी आम सी घटना को चमत्कार का रूप दे देते हैं। बांके बिहारी मंदिर की ये घटना एक ऐसा ही उधार है जहां भक्तों की भावना और विश्वास, कभी-कभी, तर्किक (लोजिक) समझ पर भी भारी पड़ जाता है।
वृन्दावन के भक्तों के लिए ये चरण अमृत का वाक्य एक यादगार पल बन गया है, भले ही वो सिर्फ एक छोटी सी ग़लतफ़हमी थी। लेकिन ये घाटना ये भी दर्शाती है कि किस तरह भक्त अपने भगवान के साथ एक रूहानी रिश्ता बनाने की कोशिश करते हैं और कभी-कभी वो विश्वास छोटी–छोटी घाटनाओं को भी एक पवित्र अनुभव में बदल